Bejaan Rishto Ke Anjaan Silsile
Bejaan Rishto Ke Anjaan Silsile
कुछ रिश्ते शायद बने ही टूटने के लिए होते है,
मानो चंद लम्हे गुज़रने के लिए ही होते है,
नसीब से मिलते है वो दोस्त जिनसे हो रिश्ता बडा सुहाना,
लेकिन क्या करे,
कमबख़्त ये रिश्ते शायद टूटने के लिए बने होते है
-Written By Shubham Dave
काँटे भी अब तो फूल समान लगते है,
मुजे तो अब अपने भी पराए से लगते है,
है ये अजनबी रिश्ता इस दुनिया से,
जहाँ, इंसान भी हैवान से लगते है,
नहीं रही कोई मशरीह अब मेरी,
मुजे तो यहाँ सब काफिर से लगते है,
ये प्यारी सी निगाहें, ज़ुल्फ़े और दिल,
सब अब मुजे ताज फरेब के लगते है,
सुना है उसकी अदालत है सबसे बडी लेकिन,
अंदाज-ए-अब्र अब मुजे आफ़त से लगते है,
कलम और स्याही ही है इस शख्सियत का सहारा,
क्योंकि, आईने भी अब तो मुजे जूठे से लगते है,
कोई नहीं है सहारा ईस इब्तिसाम का ईस दौर में,
रोनक-ए-मसर्रत भी आज कल मलाल से लगते है,
क़मर-ए-चाँदनी का नहीं है कोई चाहनेवाला इस ज़माने में,
सुना है कि डूबते लोग अक्सर किनारा ढूंढने लगते है,
Written By Shubham Dave
जो रिश्ते बेजान और बे-ज़ुबान हो उनसे अंजान रहना मुनासिफ है
Aesi behetrin shayari, story and poetry padhne k liye jude rahe hamare sath
Apka shayar - shubham Davr
बहोत गहराई मे जाके लिखा है
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