Arz Kiya Hai - Urdu Shayari
Arz Kiya Hai - Urdu Shayari
गुस्ताखी के लिए में मुआफी चाहता हूँ,
ताहीर-ए-दिल की में नुमाइश करना चाहता हूँ,
चाहता हूँ की करु मुक़द्दस मोहोबत तुमसे,
सो-मर्तबा करना में गुजारीश चाहता हूँ.
Written by Shubham Dave
बताकर जाताना मुजको नहीं आता,
दिलासा दिलाकर मुकर जाना मुजको नहीं आता,
नहीं आता देना किसी को धोखा राहो में,
तन्हा रातो में यु छोड जाना मुजको नहीं आता
Written by Shubham Dave
खुदा को हम याद किया करते है,
बेवक्त हम प्यार किया करते है,
करते है हम फिकर अपनो की,
तभी तो सबको,
काबिल-ए-अता का फरमान दिया करते है
Written by Shubham Dave
हमारी कामयाबी को देखते रह जाओगे तुम,
शिकस्त हो जाओगे ठुकराकर हमको तुम,
जो ना किया खुदा को याद मसर्रत में तुमने
तो जीते जी दोज़ख़ में जाओगे तुम.
Written by Shubham Dave
मुजको तुम मे खोया सा रहने दो,
थोडी सी बात तो कर लेने दो,
करो ना मुजसे यु बैर मेरी दिलरुबा
हिजाब हटाकर एकबार तो देख लेने दो.
Written by Shubham Dave
गरमी में बौछार बन जाती हो,
अब क्यों हमे ऐसे तडपाती हो,
खिलती हो तुम फस्ल-ए-गुल जैसे,
तन्हा रातो में तुम गायब क्यों हो जाती हो.
Written by Shubham Dave
मेरे दिल की तकाजा थी तुम,
मेरे लफ्जों का छलावा थी तुम,
थी तुम ऐसा आलम-ए-खामोशी का,
मेरे कदमो का सहारा थी तुम,
थी तुम एक राज-ए-जिस्म का,
मेरे हर मंजर का जनाजा थी तुम.
Written by Shubham Dave
मैयत पे आकर मेरी वो बोलने लगी,
कब्रिस्तान के बाहर वो खोने लगी,
राज-ए-ईश्क के खोलकर मन ही मन,
वो,
तस्वीर को सीने से लगाकर रोने लगी.
Written by Shubham Dave
तहज़ीब-ए-ईश्क हम सिखाते है,
मोहोबत की हम मालूमात दिलाते है,
दिलाते है दिलासा बिखरे दिलों को,
भटके राही को हम मंजर दिखाते है
Written by Shubham Dave
ईश्क में हम मख़मूर है,
तुमसे हम काफी दूर है,
तडप रहा है दिल मिलन को,
लेकिन क्या करे,
दर्द-ए-दिल से हम मजबूर है
Written by Shubham Dave
Very good writing
ReplyDeleteApki shayari bahut acchi hoti hai