Urdu Alfaaz : Ek Tanha Shayar
Urdu Alfaaz : Ek Tanha Shayar
एक हसीन सी सेहेर पर नाम किसीका आ गया है,
सुन ले मेरी जान अब मेरा वक्त आ गया है,
लहेजा बता रहा है कि अब मुकाम आ गया है,
वस्ल-ए-माजरत का पैगाम आ गया है,
अब करनी होगी तुजे शुरु से अज़ल क्योंकी,
आजार-ए-असरार का फ़रमान आ गया है,
मानता हूं की अना गिर चुका है अब तेरा लेकिन,
रिफ़ाकत छाडने का अब गुमान आ गया है,
मोहब्बत इतनी पोशीदा थी तुज से मेरी इसलिए,
रुखसत-ए-मोहज़्ज़ब का पैगाम आ गया है,
ताबकान सा चहेरा लिए फिरते रहे तुम हर वक्त,
देख ले शमा को तेरी अब पिघलना आ गया है ,
तेरा जिक्र तो होता रहेगा बार बार क्योंकी,
वजह से तेरी मुजे तर्ज-ए-सजदा आ गया है,
बा-दस्तूर ये महेफ़िले तवज्जों देती है मुजे,
क्योंकि, ढूंढना मुजे मिट्टी से गौहर आ गया है
अंत में जो कहेना है मुक़ाबिल होकर कहते जाना,
ये शहर-ए-इनायत को अब रुठना आ गया है,
Written By Shubham Dave
वो गुनाहो की सजा मुआफ़ी के काबिल नहीं होती है,
दिल से निकली बद्दुआ मौत के समान होती है,
शबाब के दौर में अक्सर काफी गुस्ताखीयाँ होती है,
दिल में दबी वो हर मुराद जनाजे के समान होती है,
बिछडना तो होता है एक उज़्र इस दौर में,
जब रिश्तेदारी सबसे दो जर्रा में होती है,
जहर समान लगते है वो शब्द तौहीन के,
जब जिम्मेदारी हमारी सरताज होती है,
खुदा गौर फरमा रहा है और दे रहा है तवज्जो क्योंकि,
नस्लों की शनाख़्त इंसान के रहेम-ओ-करम पर होती है
वो शबाब-ए-गुस्ताखी का मंजर कोई भी नहीं होता लेकिन,
छीन लेता है वो खुदा जो जान हमें सबसे प्यारी होती है
Written By Shubham Dave
Wonderful 👌👏👏
ReplyDeleteThanks zenab😊😊😊
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