Shifa-E-Urdu-Kalam : Ek Tanha Shayar

Shifa-E-Urdu-Kalam : Ek Tanha Shayar




तेरी याद मुजे हमेंशा आती रहती है,
कहर-ए-जुदाइ की मायूसी सी छायी रहती है,

हिकायत तेरी मेरी कुछ थी ईस कदर,
नफ़्स में मेरी वो बाते हमेंशा समाई रहती है,

पता है मुजे थी हमारी सक़ाफ़त बहुत अलग फिर भी,
दास्तान-ए-दोस्ती दिल के करीब हमेंशा रहती है,

हमारी नज़दीकीयाँ थी मोउत्ज़ा की तरह,
दोस्ती की वो किताब हमेंशा कायम रहती है,

हैरत-ज़दा का पैगाम थी वो दोस्ती हमारी,
जान-ए-गज़ल बनकर दिल में दबी सी रहती है,

कैसे भूला दूँ महज़बीन चहेरा तेरा,
चाँद को भी चाँदनी हमेंशा लुभाती रहती है,

ख़ल्वत ही है अब साथी और है तसव्वूर हमदर्दी का,
हरज़ाई तेरी रुह के मेरी करीब हमेंशा रहती है,

दोस्त ने तेरी करवाई थी हमारी शनाशाही,
तू भले हो दूर लेकिन पास हमेंशा रहती है,

था दो दिलों का फ़ासला दरमियान हमारे,
फिर भी,आश्ना बनकर मेरे पास तू हमेंशा रहती है

नहीं लिखा जाता ईस एहेसान फरामोश देस्ती पर मुजसे,
टूट भले ही जाए लेकिन दोस्ती हमेंशा दोस्ती रहती है,

Written By Shubham Dave


मुजे तो बस एक ही मंजर दिखाई देता है,
अक्सर डूबती कश्ती को किनारा ही दिखाई देता है,

मुस्तख़बिल नहीं मुजे मौत का रेगिस्तान दिखाई देता है,
जख्म-ए-रुह का मुजे वो इल्म सा दिखाई देता है,

मंजिले है ख़ानाबदोश सबकी यहाँ पर फिरभी,
शहर में फरेबीओं का मुजे किफ़िला दिखाई देता है,

पता तो नहीं मिला कभी मुजे अपनो का ईस ज़माने में,
 लेकिन,फ़िज़ूल लोगो का मुजे शहरयार दिखाई देता है

खुदा से तो डरा कर कभी ए-काफ़िर
दर्द में हर बार तुजे वो ही दिखाई देता है,

लानत है ऐसी मोहब्बत पर जो अपनों से हो परे,
खुदा मोहब्बत ओर सज़ा-ए-मौत में भी दिखाई देता है

Written By Shubham Dave


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Apka Shayar - Shubham Dave

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