Alfaaz-E-Urdu : Kalam Ki Tahzeeb
Alfaaz-E-Urdu : Kalam Ki Tahzeeb
काश मुजे मेरा मुस्तखबिल मिल जाए,
नहीं रही कोई आरजू मुजे रब से अब तो ,
काश तन्हाई से मुजे वफा मिल जाए,
थक चुका हूं इन रग़बतों और जूठे वादों से,
काश फुरसत से रुखसत-ए-जहाँ मिल जाए,
नहीं कर रहा हूं जिक्र महबूबा या मेरी शरीक-ए-हयात का,
काश ईस खुदगर्ज दुनिया में मुजे चैन की साँंस मिल जाए,
मिट चुकी है मेरी वो हर तशरीह और वजूद मेरा,
खुदा करे मेरा वजूद मुजे वापस मिल जाए,
क्यों रहता हूं मै अफ़्सुर्दा जींदगी के रिश्तों से,
खुदा करे मेरे सवालों का मुजे जवाब मिल जाए,
जूठी तोहमत करने पर डरना अल्लाह-ताला से क्योंकी,
क्या पता दुनिया में कोई तुम्हे तुम जैसा मिल जाए,
लरजिश सी हो जाती है अब किसी से मिलने पर भी,
क्या पता उजाला मिलते मिलते मुजे अंधेरा मिल जाए,
जो तुम लोग कर रहे हो आमाल मुज पर,
क्या पता कोई तुमको तुमसा मगरुर मिल जाए
नहीं करता मैं तकरीरे अब किसी भी मौजू पर,
क्या पता मुस्तखबिल नहीं मुजे सज़ा-ए-मौत मिल जाए
Written By Shubham Dave
ये लम्हे गुज़र रहे है रेत की तरह,
कर रहा है तकरीरे ये दिल नादानों की तरह,
सोच रहा है दिल मेरा यही बार बार,
कि,नहीं है क्या कोई भी मेरी तरह,
वक्त का ये सफर है बडा तवील,
क्यों बिते जा रहे है लम्हे बुजदिल की तरह,
आग सी लगी है जेहेन में मेरे,
कोई नहीं जल रहा क्या मेरी तरह,
अर्क-ए-नदामत से भरा हुआ है दिल मेरा,
निभाएगी क्या वफ़ा तन्हाईयाँ मेरी तरह,
सजा-ए-मोहब्बत का तो पता नहीं है मुजे लेकिन,
शायद कोई नहीं जी रहा होगा मेरी तरह,
नहीं चाहिए अब हमदर्दी किसी और की,
जीने दो जहाँवालों मुजे बस मेरी तरह,
गुमान नहीं है और ना है रौब शान-ओ-शोहकत का,
बस अकेला छोड दे मंजिल पर मुजे मेरी तरह
Written By shubham Dave
Bahut khoob likhe ho janab, urdu bahut hi jyada acchi hai apki, zindgi me mauka mila to aap se milne ki tavkko rahegi, aap jesa sanjeeda aur suljha hua insaan zindgi me pehli dafa dekh rahi hun aur apki ye khoobi apke alfaazo se pata chalti hai,
ReplyDeleteAllah's blessings always with you
Take care dear allah hafiz