Alfaaz-E-Shayar : Ek Tanha Shayar
Alfaaz-E-Shayar : Ek Tanha Shayar
तेरा मुजसे युं खफा रहना बरदाश नहीं होता,
तेरा मुजसे युं जुदा रहना अब बरदाश नहीं होता,
नहीं आता मुजे कोई ख्वाब अब तेरा,
युं जूठे वादो का शामियाना अब बरदाश नहीं होता
बहुत टूट चूका हूं अंदर से मैं अब तो,
तेरा चहेरा अब मुजे बरदाश नहीं होता,
जहेन में दबी नफरत की आग को दबी रहने दो,
तिल तिल दिल का टूट जाना अब बरदाश नहीं होता,
नहीं है इंतजार तेरा अब जींदगी में लौट आने का,
पहली वस्ल में युं ज़लील होना अब बरदाश नहीं होता,
जब तुमसे मिला तब से तुमसे प्यार हो गया,
हर बार प्यार की आग में जल जाना अब बरदाश नहीं होता
ना तो मैं लिखना भूल सकता हूं और ना ही तुजे,
तुजे भूल जाना मेरी कलम को अब बरदाश नहीं होता
-Written By Shubham Dave
मंजिल है मेरी एक अर्श की तरह,
रास्ते है मेरे मेरी शक्शियत की तरह,
मिल्कियत का तो पता नहीं है मुजे लेकिन,
दिल अब भी जी रहा है बच्चे की तरह,
जमाल का शौख नहीं है मुजे,
बस कोई मिल जाए तुम्हारी तरह,
पिन्हा है कुछ राज दिल के काफी अंदर,
मोहब्बत करनी है मुजे कभी तुम्हारी तरह,
अब तो तेरे नाम से भी लरजिश हो जाती है रुह में,
बिते हुए वक्त को अब भूलना है मुजे तुम्हारी तरह
-Written By Shubham Dave
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