Suhana Khat - Part 3
Suhana Khat - Part 3
मानसी रोने जेसी हो गई थी लेकिन मानसी ने जेसे तेसे अपने आप को संभाला और दोनों एक दुसरे को अलविदा बोलकर अपने अपने घर जाने के लिए रवाना हुए.जाते वक़्त भी मानसी और मेहुल दोनों एक दुसरे को देख रहे थे.
पहेले के वक़्त में अब की तरह यातायात की सुविधा भी नहीं थी इसलिए सभी लोगो को अपने अपने घर पहुचने में सुबह हो गई
सब लोग शादी में से थक कर आये थे. किसी के ज़हेन में कुछ काम करने का ख्याल दूर दूर तक नहीं आ रहा था.
1 दिन के आराम के बाद सब लोगो की जिंदगी पहेले की तरह फिरसे शुरू हो जाती है.
मानसी मेहुल को ख़त लिखने के लिए बड़ी बेताब थी लेकिन स्कूल में छुट्टियाँ चल रही थ.
मानसी छुट्टियाँ ख़तम होने की बेसब्री से रह देख रही थी. मानसी का मनो मन नहीं लग रहा था. मेहुल की तरफ ना जाने क्यों मानसी खिचीं जा रही थी.
मेहुल के साथ बिताये वो दो दिन मानसी को जेसे जिंदगी के सबसे सुहाने दिन लगे थे. मनो कोई अलौकिक शक्ति मानसी को मेहुल की तरफ जाने पर मजबूर कर रही हो.
इस तरफ मेहुल का भी ये हाल था. वो भी मानसी के साथ बिताये हुए लम्हों को याद करता था.
एक दिन की बात है,
जब मानसी सोयी हुई थी तो उसके ज़हन में ख्याल आया की “मेहुल से कही मुझे(मानसी को) प्यार तो नहीं हो गया ना?”
फिर खुद अपने आप से बोलती है की “तू भी क्या सोच रही है पागल” और फिर सो जाती है.
15. दिन. गुज़र. गए.
मानसी की स्कूल की छुट्टियाँ ख़तम हुई. स्कूल के पहेले दिन मानसी बड़ी खुश थी क्युकी वो मेहुल को ख़त लिखने के लिए बेचैन थी. एक रात पहेले से मानसी ने मेहुल के लिए ख़त लिख कर रखा था. दुसरे दिन स्कूल जाते समय बस मानसी को वो ख़त पोस्ट करना था.
मानसी स्कूल के लिए निकल गई सुबह 7 बजे. मानसी ने रस्ते में कोई देखे न ऐसे ख़त डाकघर में जमा करवा दिया और स्कूल चली गई.
स्कूल में मानसी की दोस्त बड़े दिनों बाद मिली उसको.
मानसी की दोस्त(ऋचा)
केसी हो मानसी?
.सुना है तुम अभी थोड़े दिन पहले शादी में गई थी?
केसा रहा?
मानसी
मत पुछ यार. बहुत मज़ा आया.
वहाँ पर एक मेहुल नाम का लड़का मिला था.
उसके साथ ही रही हु 2 दिन.
बहुत मज़ा आया
ऋचा
कही प्यार में तो नहीं पड गई ना मेहुल के
मानसी
अरे नहीं क्यों तुम भी....
मानसी की दोस्त मानसी को मेहुल के नाम से चिढाने लगती है और सब को पता है की अगर किसी इंसान को कोई किसी इंसान के साथ चिढाने लग जाये तो ना होते हुए भी प्यार का अहेसास होने लगता है.....
दुसरे. दिन.
मानसी का ख़त मेहुल को मिल जाता है. मेहुल भी बड़ा उत्सुक था वो ख़त पढने के लिए. मेहुल ख़त को पढता है.
ख़त में ये लिखा था की,
केसे हो आप? यहाँ पर में तो बहुत परेशान हूँ. आपके साथ बिताये हुए वो दिन दिमाग में से जा ही नहीं रहे है. कब से ख़त लिखने के लिए बेताब थी लेकिन स्कूल में छुट्टियों की वजह से लिख नहीं पाई. आपकी बाते बहुत याद आती है. 2 दिन मानो शादी किसी और की थी लेकिन हम दोनों उस में बहुत अच्छे दोस्त बन गए. ख़त मिल जाये तो सामने से जवाब लिखकर भेजिएगा. आपके ख़त का इंतज़ार रहेगा
मानसी
मेहुल को ख़त पढ़कर ख़ुशी हुई. मेहुलने सामने दूसरा ख़त लिखकर भेज दिया.
मानसी की सहेलियों का मानसी को मेहुल के साथ चिढाने का सिलसिला जारी था. मानसी मेहुल के ख़त का इंतज़ार कर रही थी. मानसी रोज़ सुबह स्कूल के पीछे वाले डाक घर को चेक करती.
2 दिन बाद मेहुल का ख़त पड़ा था लेकिन उस दिन मानसी स्कूल नहीं गई थी क्युकि उसकी तबियत थोड़ी नासाज़ थी. मानसी की सहेली उस के घर पर जाती है मेहुल का खत लेकर.
ऋचा अपने बैग में वो ख़त लेकर आई और मानसी के पास जाकर बैठी. ऋचा ने मानसी से कहा की चलो बहार जाए है. मानसी रुचा का इशारा समझ नहि पायी. ऋचा ने अकेले में मानसी को कहा की ख़त आया है मेहुल का और वो मेरे बैग के अंदर है.
मानसी तुरंत तैयार हो जाती है. मानसी और ऋचा दोनों खेत में जाते है दोपहर को. मानसी मेहुल कखत पढ़ती है.
मेहुल ने ख़त में ये लिखा था की,
बात कहाँ से शुरू करू ये पता नहीं चल रहा है लेकिन मेरा भी हाल कुछ तुम्हारी ही तरह है. में भी तुम्हे बहुत याद करता हु. तुम्हारे साथ बिताये हुयेवो दिन मेरे दिमाग से जा ही नहीं रहे है. तुम अपनी पढाई पर ध्यान देना. ख़त लिखने में मसरूफ न रहना.
मेहुल
उसी दिन मानसी खेत में बैठकर मेहुल को दूसरा ख़त लिखती है और अपनी दोस्त ऋचा को वो ख़त डाकघर में पोस्ट कर आने को बोलती है.
ऋचा अपनी दोस्त की बात मानकर वो ख़त डाकघर में पोस्ट कर आती है.
7 दिन बाद मेहुल को वो ख़त मिलता है.
मानसी ने ख़त में ये लिखा था की,
आज तो मेरी तबियत थोड़ी नासाज़ है. आपका ख़त में खेत में बैठकर पढ़ रही हु. मेरी सहेलिय मुझे आपके नाम से चिढाने लगी है. आप फिक्र न करे में अपनी पढाई पे असर नहीं होने दूंगी. अब तो पता नहीं रातो की नींद भी उड गई है मेरी तो. आपके खयालात ज़हेन में से जाने का नाम ही नहीं ले रहे है. मुझे तो बस दूसरी मुलाकात कब होगी उस का इंतज़ार है. एक बात बताइयेगा मुझे कही प्यार तो नहीं हो गया न आपसे? हलाकि ये बात आपसे पूछना मुनासिफ ना है लेकिन सारी दोस्त बोल रही है की मुझे आपसे प्यार हो गया है
मानसी
मेहुल भी ख़त लिखने में देरी नहीं करता. और वो मानसी को ख़त लिखता है.
यहाँ पर मानसी को फिक्र होने लगती है. 15 दिन गुज़र गए होते है लेकिन मेहुल का खत वापिसी में. मानसी परेशान हो जाती है. मानसी को लगता हैकि प्यार वाली बात्मेहुल को बुरिलागी होगी? क्या अब वो ख़त नहीं लिखेंगे? ऐसे काफी सारे सवालात मानसी के मन में कांटे की तरह चूभ रहे थे. 15 दिन बाद मेहुल का ख़त मानसी को मिलता है.
मेहुल ने ख़त में ये लिखा था की,
पहले तो तुम्हारी तबियत केसी है वो बताना और रही बात प्यार की तो मुझे भी ऐसा लगता है की मुझे भी प्यार हो गया है. में भी उलझा उलझा सा रहता हु. कभी कभी अकेले मे मुस्कुरा दिया करता हु तो कभी भरी महेफिल मे भी मन नहीं लगता. पहेले में तुम्हारा जवाब सुनना पसंद करूँगा उसके बाद में जवाब दूंगा.
मेहुल
मानसी ख़त पढ़ कर खुश हो जाती है. एक और ख़त लिखती है.
मेहुल को ख़त ३ दिन में ही मिल आया.
मानसी ने ख़त में लिखा था की,
आपको मेरा जवाब सुनना है न की हमें प्यार हुआ है की नहीं तो जो आपका जवाब होगा वही मेरा जवाब है.
मानसी
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