Shayar ki Dard bhari shayari

Shayar Ki Dard Bhari Shayari



चार दिवारे ईश्क की, 
चार दिन की है चाँदनी, 
चार दिन लगे जैसे हो बरसो, 
दिन ब दिन गुजर गए अरसों
मुजे मिली वफा के नाम खता, 
नाकाम हुई जींदगी रफ्ता रफ्ता
Written by Shubham Dave 


ये दुनिया का उसूल बडा है, 
हर शक्स तुलना पे अडा है, 
चाहिए शोहरत सब को यहां पर, 
बस एक गुलाब ही अकेला खडा है
Written by Shubham Dave


ईश्क के लिए सब राजी है,
ये तो दो दिलो की बाजी है,
है ये रिश्ता ए'तिमाद का, 
वरना यहां तो सब भाजी है
Written by Shubham Dave


तनहाई में कोई टूट जाता है, 
ईश्क में कोई रुठ जाता है, 
मनाते रहते है लोग यहां पर, 
तब तक, 
कोई दुनिया भूल जाता है
Written by Shubham Dave


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Apka Shayar -Shubham Dave


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