अर्ज किया है

अर्ज किया है


एक मुख्तसर सी मुलाकात मुक्मल हो जाये,
में और तुम साथ में जिंदगी बिताने के हक़दार हो जाये,
कोई न हो बिच हमारे फासले दर्मिया के,
तेरी जान मेरी और मेरी जान तेरी हो जाये 
Written By Shubham Dave


हम मसरूफ है अपनी जिंदगानी में, 
दुसरो को खुश रखना बनी आदत तुम्हारी,
खो गए रिश्तो के मर्ज़ जिंदगानी में, 
 अब क्या फायदा इस मसरूफियत का, 
जब खफा हो गई जिंदगी जिंदगानी में,
Written By Shubham Dave


आपको मनाने की कोशिश करते है,
बेवक्त दिल से पुकारा करते है,
नही सुनोगे आप आवाज़ मेरी,
फिर भी,
रूह से आपको बुलाया करते है
Written By Shubham Dave


खानाबदोश है मज़िले मेरी,
क्या खूब सिला मिला है,
भटकाकर रहो से हमको,
एक और सितम-इ-जहाँ मिला है.
Written By Shubham Dave


खुदा के दरवाजे को ढूढ़ते रहे,
प्यारे से हमसफ़र की आस बनाये रहे,
उलझ गए इस भीड़ में दुनिया की इसतरह,
की,
खुद ही खुद को बेसबब खोजते रहें
Written By Shubham Dave


प्यारी दिलरुबा से यारी अच्छी,
मायूसी भरे दिन से तो रात अच्छी,
गुज़र गई महफ़िल इश्क की,
इस मरहुमियत भरी जिन्दगी से तो मौत अच्छी
Written By Shubham Dave


चाँद को देखकर एक ख्याल आया,
जीवन में फिरसे प्यार करने का विचार आया,
थम गई सांसे मेरी कुछ वक़्त को,
जब,
फिरसे तनहा दिल और बेवफाई का ख्याल आया 
Written By Shubham Dave


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