Bejaan Ishq - The Story(Final Part)
Bejaan Ishq - The Story(Final Part)
NOTE- यह कहानी सम्पूर्ण रूप से काल्पनिक है अगर ऐसा किसी और की जिन्दगी में होता है तो वो सिर्फ एक इत्तेफाक है इस कहानी का किसी की जिन्दगी से को ताल्लुक नहीं है. कहानी के सारे पात्र काल्पनिक है.
पिछले अपडेट में आप लोगो ने की मानसी और हर्ष दोनों एक दुसरे से प्यार का इज़हार कर देते है और थोड़ी बाते करके सो जाते है अब आगे
मानसी और हर्ष के ट्यूशन चालु हो चुके थे इस लिए रोज़ बात करना मुमकिन नहीं था तो,
मानसी और हर्ष दोनों हर रविवार को मिलते थे और पुरे सप्ताह में क्या क्या किया वो सब बाते करते. दोनों अपनी इस जिन्दगी से बहुत खुश थे. रविवार को हर्ष अपनी गाड़ी लेकर मानसी को लेने जाता और ट्यूशन से दोनों बहार शाम को घुमने जाते और खुब प्यार भरी बाते करते. ऐसा इस लिए मुमकिन था क्युकी मानसी हर रविवार को ट्यूशन की छुट्टी के बाद अपने दोस्तों के साथ टाइम बिताती थी वो सबको घर पर पता था और ऐसा ही हाल कुछ हर्ष के घर का भी था. लेकिन अब प्यार होने के बाद से मानसी और र्हर्ष दोनो अपना टाइम एक दुसरे के लिए बिताने लगे.
रोज़ मानसी और हर्ष दोनों मिलते और बागीचे में बैठकर भगवान ने दी हुई जिन्दगी की और हमसफ़र की ख़ुशी के लिए भगवान् से प्राथना करते. दोनों एक दुसरे को अपना जीवन साथी मान चुके थे लेकिन थोड़े दिन बाद कुछ ऐसा सितम हुआ की मानसी ने हर्ष को रविवार को मिलने के लिए मना कर दिया. हर्ष को लगा की ये आम बात है क्युकी शायद मानसी परीक्षा की तैयार में व्यस्त होगी इस लिए मना कर रही है ये बात हर्ष सोचकर बैठा था लेकिन यहाँ बात कुछ और ही थी.
ऐसा करते करते करीबन २ महीने निकल गए और मानसी हर्ष से मिलने से इनकार ही कर रही थी. हर्ष को लगा कुछ तो गड़बड़ है आखिर मानसी हर्ष से ठीक से बात तक नहीं करती थी तो हर्ष को लगा की मानसी को क्या हुआ है वो पता तो लगाना ही पड़ेगा इसलिये हर्ष ने अपने एक दोस्त को मानसी के बारे में पता लगाने को कहा.
हर्ष के दोस्त ने काफी मशकत की लेकिन उस को कुछ पता नहीं चला. ३ महीने से मानसी हर्ष को एक बार भी नही मिली थी. एक दिन हर्ष मानसी के ट्यूशन के सामने से निकल रहा था. हर्ष बड़ा निराश और सहमा हुआ था लेकिन वो कहते है ना की सच्चे प्यार करने वाले को भगवान् भी साथ देते है तो ऐसा ही कुछ यहाँ पर भी हुआ मानसी को लेने कोई एक बंदा अपना बाइक लेकर आया और मानसी उस पर बैठी और उस बंदे के साथ चली गई. हर्ष ने पिछा किया जब मानसी का तो हर्ष ने पाया की मानसी उस बंदे के साथ में हर्ष और मानसी जिस जगह पर बैठने जाते थे वह पर बैठने के लिए गई और उस बंदे ने मानसी को एक रिग पहनाई.
हर्ष समझ गया था की अब मानसी हर्ष के हाथ से निकल चुकी है तो हर्ष ने मानसी को कुछ भी बताया नहीं और कुछ कहे बिना अपनी लाइफ बनाने में पड गया. फिर ५ महीने बाद मानसी का हर्ष को फ़ोन आता है मानसी हर्ष से कहती है की मुझे पता है की तुम्हे सब पता चल गया है हर्ष लेकिन मुझे मेरे किये पर पछतावा है में मजबूर थी. मानसी ने ऐसा इस लिए किया क्युकी उस का बॉयफ्रेंड उस को छोड़ कर चला गया था. हर्ष ने कहा की आप कोन बोल रही हो? क्युकी हर्ष ने मानसी का नंबर भी डिलीट कर दिया था. मानसी ने कहा की में मानसी बोल रही हूँ......
हर्ष ने बता की सॉरी में इस नाम के किसी इंसान को नहीं जनता हूँ. शायद कोई मेरे गुज़रे हुए कल में इस नाम का था और दिल में कई जखम देकर चला गया और फ़ोन काट देता है......
मेरी सलाह, जनहित में जारी - जो लोग प्यार के नाम पर लोगो के साथ ये खेल खेल रहे है वो बंद कीजिये और इस पावन रिश्ते के मोल को समजिये......
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