Yaar Aur Pyaar - The Story

Yaar Aur Pyaar - The Story 




आज की इस स्टोरी में आपको जान ने को मिलेगा की यारो को ज्यादा महत्त्व देना चाहिए या अपने प्यार को.....

कहानी शुरू करने से पहले इस कहानी के सारे लोगो से परिचित करवा देता हु
(१) रीना
(२) रुषभ
(३) अमित
(४) निर्मित
(५) अभिषेक
(६) भावेश
यहाँ ३ लोगो की चर्चा होगी वो है रुषभ रीना और अभिषेक....

तो कहानी शुरू होती है एक महफ़िल-इ-जागरण से. सोसाइटी नयी नयी बनी हुइ थी. सारे लोग नए-नए रहने के लिए आये थे कोई एक दुसरे को जनता नहीं था इसी लिए लोगो को एक दुसरे से वाकिफ करवाने के लिए सोसाइटी के चेयरमैन ने एक महफ़िल की योजना की और नजदीक में जागरण आ रहा था तो महेफिल-इ-जागरण के दिन सब को निओता भेज दिया गया. सब लोग रात को तैयार होकर सोसाइटी के बागीचे में पहुच गए. माहोल सजा हुआ था. रात की चांदनी खिली हुयी थी. और हलकी हलकी बारिश हो रही थी और जागरण का आरम्भ रात ९ बजे होता है.

वह पर रीना, रुषभ, अमित, निर्मित, अभिषेक, और भावेश मौजूद थे. कोई अभी तक एक दुसरे को नहीं जनता था. बागीचे में सारे लोग कुरसी पर बैठ गए. कार्यक्रम करने के लिए मशहुर कवी को बुलाया गया था. पहले थोड़ी नज्मे, गजले हुई और फिर थोड़ी देर की कवाली के साथ रात के १२ बजे थोड़ी देर का विराम हुआ

उस विराम में रीना, रुषभ, अमित, निर्मित, अभिषेक, और भावेश सारे लोग एकदूसरे के साथ दावत-इ-जश्न का मज़ा उठा रहे थे और इसी दौरान सब की दोस्ती हो गयी. फिर सारे दोस्त एकदूसरे के साथ कुरसी पर बैठ गए और आगे के कार्यक्रम का आनंद लेने लगे. रात के ४ बजे तक कार्यक्रम चला और कुछ शेरो शायरी के साथ कार्यक्रम का अंत हुआ.

फिर दुसरे दिन दोपहर को सारे दोस्तों ने मिलने तय किया. सारे दोस्त बागीचे में मिले और बाते करने लगे. रीना और रुषभ कुछ ठीक नहीं लग रहे थे. कुछ देर रीना रुषभ को देखती तो कुछ देर रुषभ रीना को. थोड़ी देर बाद सब घर चले गए. रुषभ ने सोचा की ये रीना मुझको ऐसे क्यों देख रही? कही प्यार तो नहीं हो गया? फिर अपने आप मन को समजाता है की ये सब बेकार बाते है. कुछ दोनों में सोसाइटी के दोस्त करीबी दोस्त बन गए. ३ महीने बित गए थे और सारे दोस्त एक दुसरे के साथ रोज़ खूब सारी मस्ती करते और साथ में पढाई होती.

थोड़े दिन बाद रुषभ और रीना अकेले थे सोसाइटी में बाकि के सारे दोस्त अपनी स्कूल में से छुट्टी पर गए थे और रुषभ और रीना अलग स्कूल में थे इस लिए वो नहीं गए थे. करीबन १ महीने तक रीना और रुषभ रोज़ अकेले मिलते बागीचे में जाते थे और इनदिनों में रुषभ और रीना को एक दुसरे से प्यार हो गया. लेकिन दोनों एक दुसरे से बोल नहीं पाते थे.

थोड़े दिन में सोसाइटी के सारे दोस्त वापिस आ गए और रीना और रुषभ के साथ फिर से मस्ती और पढाई शुरू हो गई लेकिन रीना और रुषभ अकेले समय बिताने का बहाना ढूढते रहते थे. फिर एक दिन शाम को सारे लोग पढाई करके घर चले गए तब रीना ने रुषभ को फ़ोन किया और सोसाइटी के बागीचे में मिलने के लिए बुलाया. रुषभ ने बोला अभी इस वक़्त रीना को क्या काम होगा?



रुषभ शाम के ५ बजे सोसाइटी के बागीचे में जाता है वहाँ पहले से मौजूद थी. रीना के हाथ में कुछ नहीं था. रुषभ ने रीना से पूछा की क्या बात है ऐसे अकेले क्यों बुलाया?? सारे दोस्तों को बुला लेती तो अच्छा होता. रीना ने बोला की बात तुमसे करनी है इस में दोस्तों का क्या काम....

रुषभ ने कहा की बोलो जो भी बोलना है जल्दी से क्युकी ऐसे हमें किसी ने अकेले देख लिया तो मुश्किल हो सकती है. रीना ने कहा ठीक है चलो एक काम करते है सोसाइटी के बहार वाले बागीचे में जाकर बात करते है. रुषभ ने कहा ठीक है. रुषभ रस्ते में ये रोच रहा था की ऐसी कोनसी बात करनी है रीना को?? क्या उसको पता चल गया होगा की में उस से प्यार करता हु?? और वो ना बोलने के लिये ले जा रही है....ये सब ख्याल रुषभ को आने लगे. रुषभ ने रीना से कहा की बताओ न क्या बात है रीना ने कोई जवाब नहीं दिया और चलती रही. रुषभ भी रीना के पीछे पीछे चलते जा रहा था.

रीना और रुषभ अखिकार बागीचे में पहुच गए. रुषभ ने रीना से कहा की अब तो बता दो क्या बात है? रीना ने रुषभ की आंख पर एक पट्टी बांध दी और फिर थोड़ी देर बाद रुषभ को वो पट्टी खोल ने को कहा. रुषभ ने जैसे अपनी आंख से वो पट्टी हटाई तो रुषभ को अपने देखे पर विश्वास नहीं हुआ.

रीना हाथ में फुल लेकर रुषभ को प्रोपोसे करने के लिए खड़ी थी. रुषभ को ये सब सपना लग रहा था. रीना और रुषभ ने एक दुसरे से प्यार का इज़हार कर तो दिया लेकिन मुसीबत तो अब आने वाली थी. रीना और रुषभ अपनी लाइफ के बारे में किसी को बताना नहीं चाहते थे इसलिये ये बात राज़ रखी गयी.

रीना और रुषभ रोज़ अकेले मिलने लगे ये बात उन के दोस्तों को हज़म नहीं हुई तो दोस्तों ने तैकिकात करने की कोशिश की तो पता चला की रीना और रुषभ एक दुसरे से प्यार करते है लेकिन कहेते है ना की प्यार में आग लगाने वाले बहुत मिल जाते है तो यहाँ पर भी कुछ ऐसा ही हुआ....

एक दिन रुषभ अपने घर पर सो रहा था तभी रीना के घर वाले आकर रुषभ के घर वालो के साथ जगडा करने लगे और थोड़ी देर में सब शांत हो गया. रुषभ और रीना सोच में पड गए की ये हुआ कैसे??.. हमारे बारे में किसी को नहीं पता था. रीना और रुषभ का प्यार यहाँ अधूरा रह गया और रीना को दुसरे देश में भेज दिया गया लेकिन रुषभ को १ साल बाद पता चला की या काम उसके एक दोस्त ने किया था जिसका नाम अभिषेक था. रुषभ ने अभिषेक से बात करी तो अभिषेक ने बताया की वो रीना से बहुत प्यार करता था और रीना उस को भाव नहीं दे रही थी इसलिए उस ने ये सब किया और रीना और रुषभ को अलग कर दिया.......

रुषभ को लगा की लानत है ऐसी दोस्ती पर जो दो प्यार करने वालो को जुदा कर दे..........
Conclusion- जहा पर सच्ची दोस्ती है वहाँ प्यार की ज़रूरत ही नहीं पड़ती और जहा प्यार होता है वह दोस्ती खुद-ब-खुद जुडी होती है. दोस्ती के बिना प्यार नहीं हो सकता और प्यार के बिना दोस्ती नहीं हो सकती इसलिए जितना प्यार जरुरी है उतिनी ही दोस्ती भी जरुरी है. लेकिन दोस्ती और प्यार सच्चे दिल से किया गया होना चाहिए.........

यह कहानी सम्पूर्ण रूप से काल्पनिक है. इस कहानी का किसी के जीवन से कोई वास्ता नहीं है. कहानी के सारे पात्र काल्पनिक है.

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 Apka Writer - Shubham Dave 

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